Wednesday, April 24, 2013

अपनी यादों की कैद से मेरी रूह आजाद कर दो जानां ... !!!

शब् ने चाँद के दो टुकड़े किये, एक इश्क बना इक खुदा हुआ
खता थी मेरी इश्क को ही बना लिया खुदा और आसमां अपना...
खबर है मुझे तुम मेरे नहीं  तुम ना आओगे वापस अब कभी
मुद्दत हुई इस दिल को खाली हुए जिंदगी कभी तो लौट कर आना...!!!

अपने होने का वजूद तलाशती अधूरे ख्वाब और अज़ाब सी जिंदगी
कौन हो तुम बताओ मुझे ज़ख्म तनहा जीने का क्यूँ मिला है तुमसे ...
ना चाँद रात है ना बारिशों का सफ़र और ना ही तुम हो मेरे साथ
फ़िर भी उन राहों पर जाने को क्यूँ इस कदर दिल मचल जाना...!!!

किसकी पनाह में तुझको गुजारें ए जिंदगी की सर्द काली रात 
दिल चाहे तपती कड़ी धूप में छाँव सा तेरे साथ का लम्हा पाना ...
हालाँकि साँसे छीनती हैं मुझसे फ़िर भी तेरी यादें हैं मेरी जिंदगी हैं 
कितना मुश्किल है तुमसे खफा हो के तुमसे दूर चले जाना...!!!

चाँद के आधे टुकड़े से बना इश्क इक दिन जान लेगा मेरी 
इश्क में हार के इस तरह मरना मुझे गवारा नहीं जानां ...
शहद सा तुम्हारा नाम क्यूँ  ज़बां से दिल से जाता ही नहीं 
अपनी यादों की कैद से मेरी रूह आजाद कर दो जानां ...!!!


Wednesday, February 15, 2012

इस तरह घुला है मेरे ख्यालों मे तसव्वुर तेरा

इस तरह घुला है मेरे ख्यालों मे तसव्वुर तेरा,
तू ही तू दिखे चाहे बयान किसी और का हो...!
मेरे एहसास मे बसी है तेरी महक कुछ इस कदर, 
जैसे सावन की बारिशों ने गुलाबों को भिगोया हो...!!!

तिनका तिनका जुड़ रहा है तेरी यादों का ताना बाना,
जैसे चांदनी रेशम के तारों मे ओस को पिरोया हो...! 
 तेरा ज़िक्र मेरे ज़हन मे महकती खुशबू गीली मिटटी की,
जैसे रजनीगंधा की बगिया मे पानी का बिछौना हो ...!!!

तुम्हारे सतरंगी ख़्वाबों से महकती हैं आँखें  मेरी,
चम्पई यादों से महका दिल जैसे ज़ाफ़रान हो...!
तेरी महकती यादों से ही है मेरे मन मे उजाला ,
उतरी चांदनी मेरे आँगन मे,तन्हा चाँद जैसे खोया हो ...!!!

नहीं हो साथ फिर भी मिलेंगे कभी ना कभी कहीं ,
दिल मे अधूरी उम्मीद सा मासूम ख्वाब संजोया हो...!
तुम नहीं आओगे जानती हूँ हकीक़त दौर ए दुनिया की, 
ना रहे बाकी ये साँसे तुमको पाके भी अगर खोना हो ....!!!

सदा तेरी नज़रों मे हो अक्स मेरा यूँ ही महके नज़्म मेरी,
कभी तेरे आगोश की जन्नत मे मेरी रूह को पनाह मिले...!
तेरे संदली लम्स की खुशबू तुम्हारी याद तो खुदा सी है ,
उसी लम्हे मे जी लूँ जिंदगी फिर भले मौत के आगोश मे सोना हो ...!!!


Thursday, October 13, 2011

भीगी आँखों मे, कभी अक्स नज़र नहीं आते...!!!



जब तुम पास नहीं होते, कुछ भी नहीं होता ,
तेरा मेरा फासला, कभी कम नहीं होता..!
ना शाम ना सहर, कुछ नज़र नहीं आते,
भीगी आँखों मे, कभी अक्स नज़र नहीं आते...!!!

तुम जो चले गए हो तो, अधूरा है सब कुछ अधूरे से सपने, 
आधी जागी आधी सोयी, आधी हंसती आधी रोई आँखें...!
हलकी नीली शाम मे, बेवजह बेमौसम रिसता आस्मां, 
फिर भीगा यादों का गाँव, अरमानों की सीली छाँव...!!!

तुमने जो गुम किये थे दिन, उनमे खोये कितने मौसम,
तुझसे मिलने के मौसम, तेरी महकती यादों के मौसम ...! 
ज़िन्दगी से हमें कुछ मिला नहीं, मगर फिर भी गिला नहीं ,
हम तो बस ज़िन्दगी थे, हमको किसी ने जिया ही नहीं...!!!

कुछ इस तरह बरस रहा है, ग़मज़दा मौसम ,
बस स्याह रात ही बाकी है, इन आँखों मे ...!
मानो मेरी तरह तन्हा है, अधूरा है चाँद भी ,
बस बात ही बाकी है तेरी, मेरी बातों मे ...!!!

तेरी यादों मे खोया हुआ, यूँ भीग रहा है मेरा मन,
जैसे सिन्दूरी शाम मे, अलसाई सी अल्हड ज़िन्दगी..!
तेरे बिन तन्हा गुजरी, मेरी हर एक रात ऐसे ,
उफक के बादलों से ढंका, तन्हा उदास चाँद जैसे...!!!

तुम बिन जी ना पाऊँगी, जानती थी मैं, 
जीते जी तुमको , ना कभी पाऊँगी मैं ...!
ना चाहते हुए भी, मांग लिया तुमको 
सुना था टूटता तारा ख्वाहिश पूरी करता है...!!!

किसी से प्यार करना ऐसा है जैसे, हमेशा के लिए अधूरा हो जाना,
कभी कभी किसी की बेपनाह चाहतों की आदतें हमें मार देती है...!
डूबते-उतराते ख़्वाबों की अटपटी ख्वाहिशें, यादों के दरीचे रोक लेती हैं,
जैसे किनारों पर आके मंजिल पाके , जिंदगी दम तोड़ देती है...!!!