Thursday, October 13, 2011

भीगी आँखों मे, कभी अक्स नज़र नहीं आते...!!!



जब तुम पास नहीं होते, कुछ भी नहीं होता ,
तेरा मेरा फासला, कभी कम नहीं होता..!
ना शाम ना सहर, कुछ नज़र नहीं आते,
भीगी आँखों मे, कभी अक्स नज़र नहीं आते...!!!

तुम जो चले गए हो तो, अधूरा है सब कुछ अधूरे से सपने, 
आधी जागी आधी सोयी, आधी हंसती आधी रोई आँखें...!
हलकी नीली शाम मे, बेवजह बेमौसम रिसता आस्मां, 
फिर भीगा यादों का गाँव, अरमानों की सीली छाँव...!!!

तुमने जो गुम किये थे दिन, उनमे खोये कितने मौसम,
तुझसे मिलने के मौसम, तेरी महकती यादों के मौसम ...! 
ज़िन्दगी से हमें कुछ मिला नहीं, मगर फिर भी गिला नहीं ,
हम तो बस ज़िन्दगी थे, हमको किसी ने जिया ही नहीं...!!!

कुछ इस तरह बरस रहा है, ग़मज़दा मौसम ,
बस स्याह रात ही बाकी है, इन आँखों मे ...!
मानो मेरी तरह तन्हा है, अधूरा है चाँद भी ,
बस बात ही बाकी है तेरी, मेरी बातों मे ...!!!

तेरी यादों मे खोया हुआ, यूँ भीग रहा है मेरा मन,
जैसे सिन्दूरी शाम मे, अलसाई सी अल्हड ज़िन्दगी..!
तेरे बिन तन्हा गुजरी, मेरी हर एक रात ऐसे ,
उफक के बादलों से ढंका, तन्हा उदास चाँद जैसे...!!!

तुम बिन जी ना पाऊँगी, जानती थी मैं, 
जीते जी तुमको , ना कभी पाऊँगी मैं ...!
ना चाहते हुए भी, मांग लिया तुमको 
सुना था टूटता तारा ख्वाहिश पूरी करता है...!!!

किसी से प्यार करना ऐसा है जैसे, हमेशा के लिए अधूरा हो जाना,
कभी कभी किसी की बेपनाह चाहतों की आदतें हमें मार देती है...!
डूबते-उतराते ख़्वाबों की अटपटी ख्वाहिशें, यादों के दरीचे रोक लेती हैं,
जैसे किनारों पर आके मंजिल पाके , जिंदगी दम तोड़ देती है...!!!



Tuesday, July 12, 2011

इस दुनिया मे ख्वाहिशे पूरी कहाँ होती हैं

आज फिर तेरे ख्यालों में जलकर रात बिताएंगे
कल फिर उठ खड़े होंगे ख्वाब ये ज़मीनों से
अपनी अपनी ताब लिए नींद के जज़ीरों से
चल पड़ेंगे अपनी राह नयी जाने फिर किसे जलाएंगे...!!!

माजी के रिश्तों की तल्ख़ यादें हैं मन मे गहरी 
साँसे रुकी सी ठहरी हुई और जिस्म बासी है  
दिल के ज़ख्म अभी हैं ताज़ा और रूह प्यासी है 
मीलो तक चलते रही बड़ी ही लम्बी उदासी है ...!!!

टूटे हुए खवाब के शीशे यूँ चुभते है इन आँखों मे
हर रात चल देते हैं उसी अन्जाने ख़्वाब के सफ़र मे
पिघलते चाँद के आंसुओ सी बरस रही हैं आँखें
जैसे जिंदगी कतरा कतरा पिघल रही हो ..!!!!

तुम भी तो आखिर मेरी मृग तृष्णा ही हो 
वो जो तेरा लम्स बाकी है मुझमे कहीं 
वो इक ख्वाब मेरी ज़िन्दगी का सबब
वो मेरा मासूम ख़्वाब मुझे लौटा दो....!!

मैंने भला तुझसे कोई रिश्ता कब माँगा है 
हाँ मगर तुझको हर एक रिश्ते की तरह चाहा है 
इन तनहाइयों से हमने बस यही जाना है 
इस जहाँ मे सिर्फ तुझे अपना माना है 

तुम्हारी यादों की टीस ने कहा मुझसे 
सुहानी यादें तो बस एक मरीचिका होती हैं 
अधूरे रिश्ते और अधूरे ख़्वाब , अनचाहे फासले 
इस दुनिया मे ख्वाहिशे पूरी कहाँ होती हैं ...!!!!