Tuesday, October 27, 2009

गुलज़ार जी की कुछ और त्रिवेनियाँ



इतने लोगों में, कह दो अपनी आँखों से
इतना ऊंचा ना ऐसे बोला करें

लोग मेरा नाम जान जाते हैं !



सारा दिन बैठा में हाथ में लेकर खाली कासा
रात जो गुजरी चाँद की कौडी डाल गयी उसमे

सूदखोर सूरज कल मुझसे ये भी ले जायेगा !



आओ जुबानें बाँट ले अब अपनी अपनी हम
ना तुम सुनोगे बात न हमको समझना है

दो अनपढों को कितनी मोहब्बत है अदब से !



कुछ इस तरह तेरा खयाल जल उठा कि बस
जैसे दियासलाई जली हो अँधेरे में

अब फूँक भी दो वरना ये उंगली जलाएगा !



रात के पेड़ पर कल ही देखा था चाँद
बस पाक के गिरने ही वाला था

सूरज आया था जरा उसकी तलाशी लेना !



सांवले साहिल पे गुलमोहर का पेड़
जैसे लैला की मांग में सिन्दूर
धर्म बदल गया बेचारी का !



ऐसे बिखरे हैं दिन रात जैसे
मोतियों वाला हार टूट गया

तुमने मुझे पिरो के रखा था !



कोने वाली सीट पर अब दो कोई और ही बैठते हैं
पिछले चंद महीनो से अब वो भी लड्ते रहते हैं

क्लर्क हैं दोनों, लगता है अब शादी करने वाले हैं !



इतने अरसे बाद" हेंगर "से कोट निकाला
कितना लंबा बाल मिला है 'कॉलर "पर

पिछले जाडो में पहना था ,याद आता है !



चौदहवें चाँद को फिर आग लगी है देखो
फिर बहुत देर तक आज उजाला होगा

राख हो जाएगा तो कल फिर से अमावस होगी !



कुछ ऐसी एहतियात से निकला चाँद फिर
जैसे अँधेरी रात में खिड़की पे आओ तुम

क्या चाँद और ज़मीन में भी कुछ खिंचाव है !



ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
फिर भी आँखों में चेहरा तुम्हारा समये हुए हैं

किताबों पे धूल जमने से कहानी कहाँ बदलती है !



नाप के वक्त भरा जाता है ,हर रेत धडी में
इक तरफ़ खाली हो जब फ़िर से उलट देते हैं उसको

उम्र जब ख़त्म हो , क्या मुझ को वो उल्टा नही सकता ?



एक एक याद उठाओ और पलकों से पोंछ के वापस रख दो
अश्क नहीं ये आँख में रखे कीमती कीमती शीशे हैं

ताक से गिर के कीमती चीज़ें टूट भी जाया करती हैं !


आज वक़्त की कुछ कमी है तो आज के लिए बस यहीं तक , जैसे जैसे वक़्त मिलेगा मुझे इस माला में और मोती जुड़ते रहेंगे |

त्रिवेनियाँ - गुलज़ार जी
इमेज सोर्स - गूगल  

6 comments:

  1. उम्दा संकलन!! इस किताब की तलाश में हूँ.

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  2. जी यह संकलन हमारे पास मौजूद है | आपका मेल ID हमने नोट कर लिया है | ई बुक हम आपको मेल कर देंगे |
    उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया |

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  3. बहुत अच्छा, लाजवाब। आपको धन्यवाद।

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  4. beautiful words,,,
    forced to go back to life,,,
    looks like,,, trivenis are written for me,,, is it a conspiracy to make my secrets public through this blog...
    ha ha ha,,, thanks for the posting the lovely collection...

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  5. इस संकलन की झलकियाँ लाजवाब है.
    प्रस्तुति के लिए आपका शुक्रिया

    - सुलभ (यादों का इंद्रजाल)

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  6. Bahot hi khub triveniya hai, Jee agar aapke pass is kitaab ki soft copy ho to kripaya mail kare. Aur mere blog pe bhi aap kuchh gazale padh sakte hai http://adhureharf.blogspot.com

    mail id : awesomeajit@gmail.com

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