Thursday, June 17, 2010

चाँद की बारिश

कल फिर रात देर तलक मद्धिम बरसात होती रही ,
मानो तन्हा उदास चाँद टिप टिप पिघल रहा हो.. !
धीमे धीमे टपक रहे हो चाँद के आंसू फलक से ,
रिमझिम रिमझिम बरसती रही चाँदनी टूट-टूट कर..!

फिजा में घुल गयी चांदनी रिमझिम सी बरखा मद्धिम सी ,
मेरे घर के आँगन में उतर आई है रोती उदास चांदनी.. !
घर के सामने वाली सड़क भर गयी है चाँद के आईने से ,
घर में मेरे भी कुछ आंसुओं के छींटे खिड़की पर जमे हैं.. !

लगता है नीचे ही किसी ने तश्तरी में सजा लिया है ,
रख लिया है कैद करके चाँद का एक नन्हा टुकड़ा.. !
उसी चाँद में ढूंढ रही हूँ एक अनजाना चेहरा तुम्हारा ,
और उन्ही भीगी मासूम सी ख्वाहिशों से सराबोर हूँ मैं.. !

उसी चाँद में जो पिघल कर टूटा था कल रात ,
आज मैं भी पिघल रही हूँ चांदनी की तरह.. !
मैं घुल रही हूँ तुम्हारी यादों की महकती खुशबू में ,
जैसे झील में मिसरी की डली सा घुल रहा हो चाँद.. !

मैं चाँद को तकती रही रात भर चांदनी में भीगती रही ,
इंतज़ार कर रही हूँ इस बार कब टूटेगा दूसरा चाँद दुबारा.. !
तो मैं भी अपने कमरे की खिड़की पे तश्तरी रख ,
पिघलते उदास चाँद को अपने कमरे में ले आऊंगी.... !


24 comments:

  1. Jai Jinendra


    Bahut Bahut Khoobsoorti se peheli baarish aur chandni raat ke sangam ko prastut kiya hai..

    Akanksha Ji ROCK!!!


    ROMANCE.. EMOTIONS.. LOVE..many more... all in one..

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  2. बहुत खूबसूरत रचना...सच ही ऐसा लगा की चाँद पिघल गया हो...

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  3. behad sundar, marmsparshee, sargarbhit rachna ke liye behad-behad badhai. otherwise mat leejiyega lekin kalpana naheen kee thee ki aaj bhee metro men hindi ke aise mahir milate hain, sachmuch dil chhoo gaya aap ka lekhan
    ratnakar tripathi
    www.mainratnakar.blogspot.com

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  4. यह रचना अपनी एक अलग विषिष्ट पहचान बनाने में सक्षम है।

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  5. Kya baat.. kya baat.. kya baatt...

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  6. chand ko takti rahi rat bhar chandni bahut achha badhai

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  7. इतना खूबसूरत चर्चामंच सजाने और
    मेरी कविता को चर्चामंच में स्थान देने के लिए
    आपका हार्दिक आभार संगीता जी ....!

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  8. जितने सुन्दर भाव उतने ही सुन्दर शब्द...अद्भुत रचना...वाह...
    नीरज

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  9. अरे वाह..!
    यह तो बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!

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  10. sundar prastuti, achhe khayalo ko shabdo me bandhne par sadhuwad

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  11. चाँद भी पिघलता हुआ दिखने लगे दिल को जभी.
    जान लो अल्लाह की नज़र-ए-इनायत हो गयी.
    रमणीय काव्य..

    God Bless

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  12. स्वतन्त्रता दिवस की शुभ कामनाएँ।

    कल 17/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  13. बहुत अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई |
    आशा

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  14. रूमानी एहसास से लबरेज ..

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  15. bahut sunder ehsaas....jeevit se ...
    bahut pasand aayi aapki kavita .
    badhai evam shubhkamnayen.

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  16. यशवंत जी नयी पुरानी हलचल मे मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार ..!

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  17. वाह ...बहुत ही खूबसूरत अभिव्‍यक्ति ।

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  18. खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर भावमयी रचना. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  19. कल 29/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  20. बहुत बढ़िया अहसासों से लबरेज कविता

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