जब तुम पास नहीं होते, कुछ भी नहीं होता ,
तेरा मेरा फासला, कभी कम नहीं होता..!
ना शाम ना सहर, कुछ नज़र नहीं आते,
भीगी आँखों मे, कभी अक्स नज़र नहीं आते...!!!
तुम जो चले गए हो तो, अधूरा है सब कुछ अधूरे से सपने,
आधी जागी आधी सोयी, आधी हंसती आधी रोई आँखें...!
हलकी नीली शाम मे, बेवजह बेमौसम रिसता आस्मां,
फिर भीगा यादों का गाँव, अरमानों की सीली छाँव...!!!
तुमने जो गुम किये थे दिन, उनमे खोये कितने मौसम,
तुझसे मिलने के मौसम, तेरी महकती यादों के मौसम ...!
ज़िन्दगी से हमें कुछ मिला नहीं, मगर फिर भी गिला नहीं ,
हम तो बस ज़िन्दगी थे, हमको किसी ने जिया ही नहीं...!!!
कुछ इस तरह बरस रहा है, ग़मज़दा मौसम ,
बस स्याह रात ही बाकी है, इन आँखों मे ...!
मानो मेरी तरह तन्हा है, अधूरा है चाँद भी ,
बस बात ही बाकी है तेरी, मेरी बातों मे ...!!!
तेरी यादों मे खोया हुआ, यूँ भीग रहा है मेरा मन,
जैसे सिन्दूरी शाम मे, अलसाई सी अल्हड ज़िन्दगी..!
तेरे बिन तन्हा गुजरी, मेरी हर एक रात ऐसे ,
उफक के बादलों से ढंका, तन्हा उदास चाँद जैसे...!!!
तुम बिन जी ना पाऊँगी, जानती थी मैं,
जीते जी तुमको , ना कभी पाऊँगी मैं ...!
ना चाहते हुए भी, मांग लिया तुमको
सुना था टूटता तारा ख्वाहिश पूरी करता है...!!!
किसी से प्यार करना ऐसा है जैसे, हमेशा के लिए अधूरा हो जाना,
कभी कभी किसी की बेपनाह चाहतों की आदतें हमें मार देती है...!
डूबते-उतराते ख़्वाबों की अटपटी ख्वाहिशें, यादों के दरीचे रोक लेती हैं,
जैसे किनारों पर आके मंजिल पाके , जिंदगी दम तोड़ देती है...!!!
बहुत खूब आकांक्षा जी।
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद यशवन्त जी...!!!
ReplyDeleteGham ke ansu khushi me badle yeh tamanna hum karte hai...
ReplyDeleteJeete hai jine ke liye.. Warna mara hum bi roz karte hai
यशवंत जी नयी पुरानी हलचल मे मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार ..!
ReplyDeleteविरह की उदासी का वक्त , सुंदर प्रस्तुति , बधाई ।
ReplyDeleteबहुत उम्दा भाव सजोये हैं आपने...
ReplyDeleteसादर बधाई...
bahut hi sundar likha hai apne
ReplyDeleteSUPERB POST
ReplyDeletepoetry is loved and appreciated.
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