Thursday, June 17, 2010

चाँद की बारिश

कल फिर रात देर तलक मद्धिम बरसात होती रही ,
मानो तन्हा उदास चाँद टिप टिप पिघल रहा हो.. !
धीमे धीमे टपक रहे हो चाँद के आंसू फलक से ,
रिमझिम रिमझिम बरसती रही चाँदनी टूट-टूट कर..!

फिजा में घुल गयी चांदनी रिमझिम सी बरखा मद्धिम सी ,
मेरे घर के आँगन में उतर आई है रोती उदास चांदनी.. !
घर के सामने वाली सड़क भर गयी है चाँद के आईने से ,
घर में मेरे भी कुछ आंसुओं के छींटे खिड़की पर जमे हैं.. !

लगता है नीचे ही किसी ने तश्तरी में सजा लिया है ,
रख लिया है कैद करके चाँद का एक नन्हा टुकड़ा.. !
उसी चाँद में ढूंढ रही हूँ एक अनजाना चेहरा तुम्हारा ,
और उन्ही भीगी मासूम सी ख्वाहिशों से सराबोर हूँ मैं.. !

उसी चाँद में जो पिघल कर टूटा था कल रात ,
आज मैं भी पिघल रही हूँ चांदनी की तरह.. !
मैं घुल रही हूँ तुम्हारी यादों की महकती खुशबू में ,
जैसे झील में मिसरी की डली सा घुल रहा हो चाँद.. !

मैं चाँद को तकती रही रात भर चांदनी में भीगती रही ,
इंतज़ार कर रही हूँ इस बार कब टूटेगा दूसरा चाँद दुबारा.. !
तो मैं भी अपने कमरे की खिड़की पे तश्तरी रख ,
पिघलते उदास चाँद को अपने कमरे में ले आऊंगी.... !


Saturday, June 5, 2010

सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP)

किसी समय की बात है एक कवि का बहुत ही कठिन समय चल रहा था | वह अपने परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ था इसीलिए जब उसने सुना कि राजा प्रतिभा को प्रोत्साहित करता है और अपनी उदारता के लिए प्रसिद्द है तो वह राजमहल की ओर चल पड़ा | राजा के समक्ष आने पर उसने राजा से अपनी कविता सुनने की प्रार्थना की | राजा को उसकी कविता बहुत पसंद आई और राजा ने उसे इनाम मांगने को कहा |
कवि ने राजा के सामने बने शतरंज के बोर्ड की ओर इशारा करते हुए कहा " महाराज यदि आप इस शतरंज के पहले वर्ग पर चावल के केवल एक दाने को रखें और प्रत्येक वर्ग पर इसे दोगुना करे तो  यह मेरे लिए उचित पुरस्कार होगा "  | आश्चर्य चकित राजा ने पूछा "  मात्र चावल का एक दाना स्वर्ण का नहीं ???"  विनम्र कवि ने कहा " नहीं महाराज मात्र चावल का एक दाना " |
" तो ऐसा ही हो " राजा ने आदेश दिया  और उसके दरबारियों ने शतरंज के बोर्ड पर चावल रखना आरंभ कर दिया | प्रथम वर्ग पर एक दाना, दूसरे पर 2 ,  तीसरे पर 4 , चोथे पर 8 इत्यादि | जब वे दसवे वर्ग पर पहुंचे तो उन्हें 512 दाने रखने पड़े | 20वें वर्ग पर संख्या 5,24,288  तक बढ़ गयी | जब वे आधे रास्ते तक पहुंचे अर्थात 32वें वर्ग तक अनाज की गिनती 214,74,83,648 अर्थात 214 करोड़ से अधिक | शीघ्र ही गिनती लाख करोड़ से भी उपर  पहुँच गयी और अंत में असहाय राजा को अपना पूरा राज्य उस चालाक कवि को सौपना पड़ा और यह सब आरम्भ हुआ मात्र चावल के एक दाने से |


चक्रवृद्धि बढ़त को कम नहीं आंकना चाहिए | यदि आप लम्बी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो यह आपके लिए बेहतरीन मौका है | आपके कार्य जीवन में आरम्भ की हुई एक छोटी सी राशि आपके सेवानिवृति के समय एक प्रभावशाली राशि बन सकती है |


NEVER UNDERESTIMATE COMPOUND GROWTH . IF YOU ARE INVESTING FOR A LONG TIME IT WILL GIVE U BEST RETURNS. A SMALL AMOUNT INVESTED WHILE U R WORKING CAN BE A IMPRESSIVE AMOUNT TILL THE TIME OF YOUR RETIREMENT....