Wednesday, February 15, 2012

इस तरह घुला है मेरे ख्यालों मे तसव्वुर तेरा

इस तरह घुला है मेरे ख्यालों मे तसव्वुर तेरा,
तू ही तू दिखे चाहे बयान किसी और का हो...!
मेरे एहसास मे बसी है तेरी महक कुछ इस कदर, 
जैसे सावन की बारिशों ने गुलाबों को भिगोया हो...!!!

तिनका तिनका जुड़ रहा है तेरी यादों का ताना बाना,
जैसे चांदनी रेशम के तारों मे ओस को पिरोया हो...! 
 तेरा ज़िक्र मेरे ज़हन मे महकती खुशबू गीली मिटटी की,
जैसे रजनीगंधा की बगिया मे पानी का बिछौना हो ...!!!

तुम्हारे सतरंगी ख़्वाबों से महकती हैं आँखें  मेरी,
चम्पई यादों से महका दिल जैसे ज़ाफ़रान हो...!
तेरी महकती यादों से ही है मेरे मन मे उजाला ,
उतरी चांदनी मेरे आँगन मे,तन्हा चाँद जैसे खोया हो ...!!!

नहीं हो साथ फिर भी मिलेंगे कभी ना कभी कहीं ,
दिल मे अधूरी उम्मीद सा मासूम ख्वाब संजोया हो...!
तुम नहीं आओगे जानती हूँ हकीक़त दौर ए दुनिया की, 
ना रहे बाकी ये साँसे तुमको पाके भी अगर खोना हो ....!!!

सदा तेरी नज़रों मे हो अक्स मेरा यूँ ही महके नज़्म मेरी,
कभी तेरे आगोश की जन्नत मे मेरी रूह को पनाह मिले...!
तेरे संदली लम्स की खुशबू तुम्हारी याद तो खुदा सी है ,
उसी लम्हे मे जी लूँ जिंदगी फिर भले मौत के आगोश मे सोना हो ...!!!