आज फिर तेरे ख्यालों में जलकर रात बिताएंगे
कल फिर उठ खड़े होंगे ख्वाब ये ज़मीनों से
अपनी अपनी ताब लिए नींद के जज़ीरों से
चल पड़ेंगे अपनी राह नयी जाने फिर किसे जलाएंगे...!!!
माजी के रिश्तों की तल्ख़ यादें हैं मन मे गहरी
साँसे रुकी सी ठहरी हुई और जिस्म बासी है
दिल के ज़ख्म अभी हैं ताज़ा और रूह प्यासी है
मीलो तक चलते रही बड़ी ही लम्बी उदासी है ...!!!
टूटे हुए खवाब के शीशे यूँ चुभते है इन आँखों मे
हर रात चल देते हैं उसी अन्जाने ख़्वाब के सफ़र मे
पिघलते चाँद के आंसुओ सी बरस रही हैं आँखें
जैसे जिंदगी कतरा कतरा पिघल रही हो ..!!!!
हर रात चल देते हैं उसी अन्जाने ख़्वाब के सफ़र मे
पिघलते चाँद के आंसुओ सी बरस रही हैं आँखें
जैसे जिंदगी कतरा कतरा पिघल रही हो ..!!!!
तुम भी तो आखिर मेरी मृग तृष्णा ही हो
वो जो तेरा लम्स बाकी है मुझमे कहीं
वो इक ख्वाब मेरी ज़िन्दगी का सबब
वो मेरा मासूम ख़्वाब मुझे लौटा दो....!!
मैंने भला तुझसे कोई रिश्ता कब माँगा है
हाँ मगर तुझको हर एक रिश्ते की तरह चाहा है
इन तनहाइयों से हमने बस यही जाना है
इस जहाँ मे सिर्फ तुझे अपना माना है
तुम्हारी यादों की टीस ने कहा मुझसे
सुहानी यादें तो बस एक मरीचिका होती हैं
अधूरे रिश्ते और अधूरे ख़्वाब , अनचाहे फासले
इस दुनिया मे ख्वाहिशे पूरी कहाँ होती हैं ...!!!!

