यक्ष प्रश्न ......क्या शिक्षा ने यही जागरूकता दी हमे ???????
जानती नहीं लाडली बेटियां ही तो माँ की परछाई होती !
कच्ची दीवारों के खोखले रिश्तो से अनजान हंसती गाती
रुनझुन रुनझुन क़दम बढ़ाती छन छन से पायल छनकाती !
कभी दस्तूरों तो कभी रिवाज़ के हाथों पल पल सताई जाती
निष्कासित इंसानियत के इस क्रंदन पर आँखे भर आती !
खली दामन खोखले रिश्ते बचाने को अग्नि परीक्षा दी जाती
जीवन जीने की तमन्ना हर बार बेबसी से यूँ कुचली जाती !
कभी जीते जी तो कभी पैदा होने से पहले ही मार दी जाती
आखिर क्यूँ बाबुल के घर में बेटियां इतनी पराई हो जाती !
सुबह की ओस चाँद की मेहँदी लगाये आस की लौ जगती
दिए की चाह में चांदनी से जल बैठी सुलगती सी रहती !
पर कटी हैं, पैर कटी हैं फिर भी ऐसे ही जीने को हैं मजबूर
इक बार नहीं सौ बार नहीं मर मर के हर पल में ये जीती !
कभी पी जाएँ गम का विष , तो कभी पंखे से उतारी जाती
लाल जोड़े के बहाने बेसबब , लाल कफ़न में दफनाई जाती !
बाबुल के घर की लक्ष्मी, अम्मा की लाडो बाबा की दुलारी
यूँ अचानक बिना बीमारी, अल्लाह को प्यारी हो जाती !
इस दश्त में मासूमियत जिल्लत सहती, इंसानियत मरती
भरोसे बिक जाते सरे राह जिंदगी बेज़ार सिसकती !
दिल ए रेगिस्तान में फंसी, जिंदगी के मिराज में भटकती
नाउम्मीदी होगी हासिल, मालूम है इनको अपनी हस्ती !
उम्मीदों के बादल की बरखा टीस का पानी बन झड जाती
शायद ...इसीलिए परियां अब इस ज़मीन पर नहीं आती !
अगर कुछ लोगो भी ये गुनाह कर पाने से हम रोक पाए
तो लगेगा की अब भी कुछ इंसानियत जिंदा है कहीं
कृपया इस पोस्ट का लिंक को अपने सभी मित्रों को भेजे
शायद इस सोते हुए समाज को कुछ जागरूक कर पायें
प्रश्न वाजिब है!
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक लिखा है।
बधाई!
uff! beti ka dard, ladki hone ki vyatha..........bakhubi bayan kar di hai..........kya fayada aisi duniya mein aane ka jahan uski kadra na ho...........bahut hi umda lekhan.
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
ReplyDeletepadh kar yakin nahi hota hey k aaj k jamaney main bhi aisa hota hey.......
ReplyDeletebahut hi behtarin umda kism ka ye likha aapne...qs vakai sochne wala hai ..kya aaj ham vakai padhe likhe hai..kya aaj samast bharatvarsh se aap ye ummed karte hai ki wo 2020 tak viksit desh ban jayega...in sab harkato se...ye bahut hi soch vichar ka vishay hai..mai dhanwavad dena chahunga mam ka..ki unhone inti marmik lekh likhi...dhanwvad
ReplyDeleteसही दर्द उकेरा है आपने
ReplyDeleteशिद्दत से उभारा है
नजारा सबको मालूम है
फिर भी नजरें छिपाये रहते हैं
nice written but we should also discuss the problems like dowry and security of females which are root cause associated with this problem .....yes we should make alert every one specially educated where it is more prevalent in our punjab and haryana i will say .............
ReplyDeleteसमझ नहीं पा रहा हूं कि क्या कहं क्योंकि क अब तो उस मां को भी कोसने का मन नहीं करता जिसने ये किया ......उसने तो जमाने के क्रूर रिवाजों को देख कर ही ऐसे कठोर कदम बढाए होंगे । जो भ हो आज के समाज के मुंह पर ये करारा तमाचा है ....।
ReplyDeleteहां आपके पोस्ट पर टिप्पणी करने में दिक्कत रही है
बहुत सुन्दर तरीके से अपने कन्या भ्रूणहत्या के इस इस विषय पर रौशनी डाली है..
ReplyDeleteऐसा करने वाले खूनी (माता पिता & डाक्टर) को सजाए मौत मुक़र्रर कर देनी चाहिए
ab sahi kiya aakanksha.........kam se kam sabko pata to chale ki aaj bhi padhe likhon ka ye haal hai to ek anpadh ye sab kare to usse kya gila kare koi...........ek jagruk karne wali post.
ReplyDeleteआकांक्षा जी, विषय अत्यन्त मार्मिक है, चिन्तनीय भी किन्तु यह विकृति आधुनिक संभ्रांत भारतीय समाज की है जो कि शिक्षित भी है, सम्पन्न भी। यह विकृति प्रमाण है भारतीय शिक्षा प्रणाली में संस्कृति व नैतिक शिक्षा से वियोग का। हमारी परम्पराएं अथवा हमारी संस्कृति इसके लिए लेशमात्र भी दोषी नहीं हैं।
ReplyDeleteआपकी रचना अत्यन्त भावपूर्ण व संवेदनयुक्त है।
बहुत बढ़िया पोस्ट है।बधाई।
ReplyDeleteआप सभी दोस्तों से एक विनम्र निवेदन आप सभी का सादर आभार जो आपको यह रचना पसंद आई लेकिन सिर्फ बढ़िया पोस्ट है लिख कर इसे भूल न जाएँ कृपया अपने दोस्तों को आगे भेजे यह सिर्फ एक छोटी सी कोशिश है मेरी इस सोये हुए समाज के शिक्षित अनपढ़ों को जगाने की आप भी मेरी इस पहल में सहयोग करें | दीप से दीप जलाएं सोते हुए लोगो को जगाएं | शिक्षित अनपढ़ों आखिर कब जागोगे ??????
ReplyDeleteBohat Masroof Rehte Ho
ReplyDeleteSehar Se Shaam Honay Tak
Koi Lamha Nahin Milta
Koi Be Naam Si Fursat
Koi Gumnaam Si Surat
Kabhi Bethe Huey Tanha
Kahin Jo Shaam Ho Jaye
To Meri " ILTEJA " Hai Ye
Koi Lamha Chura Lena
Jo Mere Naam Ho Jaye…
sahi pahal...
ReplyDeleteआज की स्थिति को बयां करती पोस्ट।
ReplyDeleteसमाचारों में दिखलाया जाता है महिलाओं का शोषण।
तो दूसरी ओर दिखलाया जाता है महिला-मुक्ति आन्दोलन।
महिला-मुक्ति आन्दोलन का समाज पे इतना प्रभाव है,
कि जन्म से ही पहले "मुक्ति" का प्रस्ताव है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman. blogspot. com
suman ji ne bahut sahi kaha hai.."janm se pahle hi mukti"
ReplyDeletemarmik abhivyakti..
kya iske bad bhi wo apki mitra hain?
ReplyDeleteसमझ मे नही आता क्या लिखू , समाज को क्या काहु . जो एक बेटी , एक बहन ,एक मा और पत्नी को आज तक समझ नही पाया . प्रियंका जी ये नकारा समाज ना जाने कब अपने आप को पुरुष रूपी तमगे से मुक्त करेगा . शायद अभी नही तो कभी नही , एक मा ही अपनी अजन्मी संतान से मुक्ति पाना चाहतीं है. कैसे विडंबना है .समाज की , ये कटु सत्या है ,इसको झुठलाया नही जा सकता . इस सत्य को स्वीकार करना ही होगा तभी कुछ सार्थक परिणाम निकल सकता है .
ReplyDeleteदिलीप कुमार सिंह
bahut badia vytha likhi hai aapne
ReplyDeletevery beautifully written Akanksha ...
ReplyDeletevery beautifully written .....
ReplyDeleteHAR WAAKYA ME SACCHAI HAI...
ReplyDeletebahut sahi likha hai...
ReplyDeleteits a very touching situation...and the most important thing that we all must do is to spread awarness against it...
A sarcasm against the evil of female foeticide....
I can't place the complete verse here, so I'm giving the link....
spread the cause..
http://ashksymphony.co.cc/2010/05/7-days.html
दिल पसीज गया , एस गुनाह करने वाले को तुरंत फाशी दे देनी चाहिए . भारत स्वाभिमान एस कानून बनवा के रहेगा .
ReplyDeleteDON'T READ SIMPLY .. Requesting to all.. Plz Try to adapt it in your life..
ReplyDeleteAn English translation of the site would be very helpful, and could reach more people around the globe..
ReplyDeleteTina Kelaiditi, Athens, Greece