एक अकेली मैं हूँ और साथ मेरे मेरी तन्हाई
रात घिरी निस्तब्ध मगर मुझे नींद ना आई
दिलो को चीरते हैं खामोशियों के पसरे सन्नाटे
खोया खोया चाँद भी गुमसुम ख़ामोशी छाई !
आ जाए जो मुझे नीदं तो शायद आयें मीठे सपने
सपने में ही गर आ जाओ कभी तो मेरे अपने
तारों भरी रात में आंसुओं की बारात आई
गूंज रही हर इक पल तेरी यादों की शहनाई !
पलकों पर ठहरे हैं कुछ ओस के मोती मनके से
रुक जाए गर ये पल यही भर लूं मैं अंखियों में
धुंधले यादों के जंगल में फिरती हूँ बौराई
अब तक तुम ना आये सोच के हूँ अकुलाई !
जी चाहे मिल जाए मुझे इक आस का जुगनू
ना दूर तक रौशनी है ना ही कोई परछाई
खोलूँगी ना पलकें अपनी फिर कभी हो रुसवाई
एक अकेली मैं हूँ और साथ मेरे मेरी तन्हाई !
"जी चाहे मिल जाए मुझे इक आस का जुगनू
ReplyDeleteना दूर तक रौशनी है ना ही कोई परछाई
खोलूँगी ना पलकें अपनी फिर कभी हो रुसवाई
एक अकेली मैं हूँ और साथ मेरे मेरी तन्हाई !"
बहुत ही नाजुक शेर लिखें हैं आपने तो!
इन मखमली शब्दों की जितनी तारीफ की जाए कम है।
very nice emotions always i am not a poet but i always wonder and like how the words become and influnce our minds in such a beautiful way .....................
ReplyDeleteअच्छी कविता. अच्छे भाव.
ReplyDeleteKhoobsoorat to hai sath hi sundar bhi!...
ReplyDeleteRegards
Ram K Gautam
आपके लिए एक सुझाव है, आपके ब्लॉग का हेडर और उसमे लिखे शब्द काफी कंप्रेस्ड हैं... उसका कोई इलाज़ कीजे, ब्लॉग और खिल उठेगा!...
ReplyDeleteशुभ भाव
राम कृष्ण गौतम
Beautifully described pain of missing someone special...
ReplyDeleteAs always, poetry is heart touching..
Delighted to be Ur Friend.
Praying All Your Wishes Come True...
God Bless You With All Happiness & Success U Determine :)
Take Care,
Your's Truey
B Jain
एक उम्दा भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteक्रिसमस एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
बढिया.शुभकामनाएं.
ReplyDeleteहम्म्म...
ReplyDeletebahut hi gahre ahsaas liye hai.........ek tadap darshati huyi rachna.
ReplyDeleteसुन्दर रचनाये प्रभावित हुआ ! ब्लॉग का टेम्पलेट भी सुन्दर है ! कहाँ से प्राप्त किया पता देगे तो आभारी रहूगा
ReplyDeleteDearest AKANKSHA JI,
ReplyDeleteWISH YOU A VERY HAPPY AND REMEMORABLE NEW YEAR!...
प्रकाम्य और आकांक्षा जितने साहित्यिक हैं नाम.
ReplyDeleteउतना सुन्दर ब्लाग बना है,प्यारा-ललित-ललाम.
प्यारा ललित ललाम, ये नगमा भी बन पाता.
शुभ-कामना है, जन-गण-मन को पूरा भाता
इस साधक को (काश!)फ़िर आने की बने आकांक्षा.
बङे साहित्यिक नाम, प्रकाम्य और आकांक्षा.
खोलना न पलकें,वरना टूट जायेगी तनहाई।सासों पर एतबार रखो, जरूर बजेगी शहनाई।।
ReplyDeleteखोलना न पलकें,वरना टूट जायेगी तनहाई।सासों पर एतबार रखो, जरूर बजेगी शहनाई।।
ReplyDeleteअगर सासों पर एतबार नही,तो न करो इन्तजार यही सही। सपनो को दामन मे रखने से,सिवाय सिसकियाँ और कुछ देती नही।।खोलना न पलकें वरना टूट जायेंगी तनहाई,सासों पर एतबार रखो जरूर बजेगी शहनाई।।
ReplyDeletewaah ...waah
ReplyDeletekya baat hai ... bahut khoob
bahut sundar rachna
padhkar achha laga.
aabhaar evam shubh kamnayen
खूबसूरत अभिव्यक्ति..
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