शब् ने चाँद के दो टुकड़े किये, एक इश्क बना इक खुदा हुआ
खता थी मेरी इश्क को ही बना लिया खुदा और आसमां अपना...
खबर है मुझे तुम मेरे नहीं तुम ना आओगे वापस अब कभी
मुद्दत हुई इस दिल को खाली हुए जिंदगी कभी तो लौट कर आना...!!!
अपने होने का वजूद तलाशती अधूरे ख्वाब और अज़ाब सी जिंदगी
कौन हो तुम बताओ मुझे ज़ख्म तनहा जीने का क्यूँ मिला है तुमसे ...
ना चाँद रात है ना बारिशों का सफ़र और ना ही तुम हो मेरे साथ
फ़िर भी उन राहों पर जाने को क्यूँ इस कदर दिल मचल जाना...!!!
किसकी पनाह में तुझको गुजारें ए जिंदगी की सर्द काली रात
दिल चाहे तपती कड़ी धूप में छाँव सा तेरे साथ का लम्हा पाना ...
हालाँकि साँसे छीनती हैं मुझसे फ़िर भी तेरी यादें हैं मेरी जिंदगी हैं
कितना मुश्किल है तुमसे खफा हो के तुमसे दूर चले जाना...!!!
चाँद के आधे टुकड़े से बना इश्क इक दिन जान लेगा मेरी
इश्क में हार के इस तरह मरना मुझे गवारा नहीं जानां ...
शहद सा तुम्हारा नाम क्यूँ ज़बां से दिल से जाता ही नहीं
अपनी यादों की कैद से मेरी रूह आजाद कर दो जानां ...!!!